उज्जैन। संभाग के सबसे बड़े 6 मंजिला अस्पताल चरक में बनी पुलिस चौकी पर शाम 5 बजे ताला दिखाई देने लगाता है। पुलिसकर्मियों की कमी के चलते चौकी को बंद करना पड़ रहा है। 3 माह से चौकी के ऐसे हालत बने हुए है।
सालभर पहले जिला अस्पताल को चरक भवन में शिफ्ट किया गया था। जिसके बाद यहां पुलिस चौकी बनाई गई थी, ताकि अस्पताल में होने वाले वाद-विवाद के साथ ग्रामीण क्षेत्रों से घटना-दुर्घटना में आने वाले घायलों और मृतकों के मामलों में तत्काल पुलिस मदद मिल सके। लेकिन 3 माह पहले एएसआई नारायणसिंह पाल के सेवानिवृत्त होते ही चौकी शाम ढलने के बाद वीरान हो रही है। चौकी पर पहले एएसआई स्तर के अधिकारी के साथ प्रधान आरक्षक और आरक्षक की तैनाती थी। अब सिर्फ प्रधान आरक्षक ही चौकी पर तैनात है, जो 8 से 10 घंटे की ड्युटी कर रहा है। वह भी शाम को 5 बजे बाद लौट जाता है। जिसके चलते चौकी पर ताला लगाना पड़ रहा है। शाम के बाद सुबह तक ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले घायलों और मृतकों की सूचना अब अस्पताल स्टॉफ को कोतवाली थाना पुलिस को दर्ज कराई जा रही है। पहले चौकी पुलिस तत्काल इमरजेंसी कक्ष में पहुंच घायलों, मृतकों की जानकारी लेकर उनके बयान दर्ज करने के साथ मर्ग कायम कर लेती थी। अब घायलों के बयान दर्ज करने के लिये कोतवाली थाना पुलिस को अस्पताल पहुंचना पड़ रहा है। मृतकों के मामले में चौकी पर पदस्थ प्रधान आरक्षक के सुबह आने पर ही पोस्टमार्टम की प्रक्रिया पूरी हो पा रही है। जिसमें समय लगने पर मृतकों के परिजनों को दोपहर तक का इंतजार करना पड़ा रहा है। पूर्व में रात को ही पीएम दस्तावेज तैयार होेने पर सुबह जल्द पोस्टमार्टम की प्रक्रिया पूरी करा ली जाती थी। बताया जा रहा है कि चौकी पर पुलिसकर्मियों की तैनाती के लिये वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत कराया जा चुका है। लेकिन 3 माह बाद भी किसी की तैनाती नहीं हो पाई है।
डीआरपी लाइन में मौजूद कई पुलिसकर्मी
बताया जा रहा है कि डीआरपी लाइन में टीआई, एसआई, एएसआई से लेकर प्रधान आरक्षक, आरक्षक तक मौजूद है। बावजूद अस्पताल चौकी पर अब तक किसी की तैनाती नहीं हो सकती है। चौकी कोतवाली थाना अंतर्गत आती है। जिसके चलते यहां एसआई, एएसआई स्तर के साथ प्रधान आरक्षक या आरक्षक की तैनाती हो सकती है। रात में चौकी खुली होने पर ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले घायलों, मृतकों के परिजनों को बयान दर्ज कराने और दस्तावेजी कार्रवाई करने में सुविधा मिल सकती है, वहीं अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था भी पुख्ता बनी रह सकती है।
रात को परिसर में आते असामाजिक तत्व
चरक भवन में अंधेरा डालने के बाद असामाजिक तत्वों की मौजूदगी भी दिखाई देने लगती है। पूर्व में रात को खुली रहने वाली चौकी पर पदस्थ पुलिसकर्मी परिसर में भ्रमण भी करते रहते थे। जिसके चलते असामाजिक तत्वों में खौफ बना रहता था। लेकिन अब रात में असामाजिक तत्व बैखोफ दिखाई दे रहे है। विदित हो कि जिला अस्पताल के चरक में शिफ्ट होने के बाद चौकी की जगह के लिये मशक्कत भी की गई थी। जगह मिलने पर कक्ष का निर्माण कार्य भी कराया गया था। लेकिन अब शाम के बाद वीरानी छाई रहती है।
पुलिसकर्मियों की कमी, बंद करना पड़ रही चौकी -शाम 5 बजे बाद चरक अस्पताल पुलिस चौकी पर दिखता है ताला
